by Bishan Papola
कुछ दिन पूर्व एक व्यापारी बाजार सब्जी खरीदने गया। वहां सब्जी मंडी में पॉलीथीन को लेकर उसका दुकानदार से हल्का-सा विवाद हो गया। इस विवाद से गुस्साए सब्जी विक्रेता और उसके साथियों ने उस व्यापारी को इतना मारा कि उसकी मौत हो गई। यह घटना राजधानी दिल्ली से सटे आईटी शहर नोएडा की है। ऐसा भी नहीं है कि इस तरह की यह एकलौती घटना है। प्रतिदिन ऐसे उदाहरण हम देखते, सुनते और पढ़ते हैं। रोडरेज की घटनाओं को ही हम लें तो आए-दिन ऐसी घटनाएं घटती रहती हैं। ऐसी घटनाओं को लोग अचानक ही क्यों अंजाम देते हैं, यह चिंताजनक बात है। इसके पीछे का कारण है- Hypertension यानि कि हाई ब्लड प्रेशर।
क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ऑफ इंडिया के आकड़े बताते हैं कि भारत में लोगों का पारा बहुत तेजी से गर्म हो रहा है। हर साल 3० से 32 फीसदी हत्याएं अचानक भड़के गुस्से की वजह से हो रही हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर, कोई व्यक्ति इस समस्या से ग्रसित है तो वह न केवल दूसरों के लिए नुकसानदेह साबित होता है, बल्कि वह स्वयं भी कई बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। बहुत से लोग समय से इसे समझ नहीं पाते हैं, जिससे अधिकांश लोगों की मौत हो जाती है। Hypertension एक A Silent Killer की तरह काम करता हैं। ऐसे में, जरूरी है कि इस समस्या को समय से समझें और इसका उपचार कराएं।
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हर साल 17 मई को World Hypertension Day मनाया जाता है। इसको लेकर दुनिया भर में लोगों को जागरूक भी किया जाता है। विश्ोषज्ञों द्बारा आकड़ों के माध्यम से समझाने का प्रयास किया जाता है कि यह समस्या कितनी गंभीर है, क्योंकि यह स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ मामला है। अनियमित जीवनशैली के चलते लोगों में Hypertension की समस्या लगातार बढ़ रही है। जीवनशैली से जुड़ी जटिलताओं, बीमारियों, खाने-पीने की गलत आदतों, जागरूकता की कमी के चलते बड़ी आबादी Hypertension और इससे जुड़ी अन्य बीमारियों जैसे स्ट्रोक, किडनी फैल्योर, हार्ट अटैक एवं अन्य कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के शिकार हो रही है। आज हर तीसरा व्यक्ति Hypertension से पीड़ित है। नतीजन, हर साल लाखों लोग अपनी जान Hypertension की वजह से गवां रहे हैं।
एक अनुमान के अनुसार भारत में तकरीबन 1०.8 फीसदी मौतें तथा 4.6 फीसदी आजीवन अपंगताएं Hypertension के कारण ही होती हैं। शहरी के साथ ग्रामीण क्ष्ोत्रों में रहने वाले लोग भी सामान्य रूप से Hypertension के शिकार हो रहे हैं। आकड़े हैरान करते हैं कि भारत में स्ट्रोक के 29 फीसदी, हार्ट अटैक के 24 फीसदी और किडनी फैल्योर के 13 फीसदी मामलों की वजह Hypertension है। दुनिया भर में हर साल तकरीबन 94 लाख लोग Hypertension या इससे जुड़ी बीमारियों की वजह मर जाते हैं। मरने वालों में अधिकांशत: ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें पता ही नहीं होता है कि वह Hypertension के शिकार थ्ो। ऐसे में, जरूरी है कि नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर चैक कराते रहें। अगर, इस पर नियंत्रण न किया जाए तो इसका बुरा असर हृदय, गुर्दों परिधीय धमनियों और आंखों पर भी पड़ने लगता है। ऐसा नहीं है कि शहरी आबादी ही Hypertension की शिकार है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी इस बीमारी से पीड़ित होते जा रहे हैं। पुरुषों के अलावा महिलाएं और कम आयुवर्ग के लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।
जेपी हॉस्पिटल के कॉर्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. गुंजन कपूर कहते हैं Hypertension एक ऐसी बीमारी है, जिसमें धमनियों में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिसका असर धमनियों की दीवारों पर पड़ता है। वह बताते हैं कि ज्यादातर मामलों Hypertension का मुख्य कारण जीवनश्ौली से जुड़ा होता है और इसके लिए जीवनश्ौली में बड़े बदलाव लाने की जरूरत होती है। हाई ब्लड प्रेशर, जो किसी अन्य कारण से न हो, उसे प्राइमरी या असेनियल Hypertension कहा जाता है। अगर, यह किसी अन्य बीमारी के कारण हो तो इसे सैकंडरी Hypertension कहा जाता है। हालांकि, कुछ मरीजों में सैकंडरी Hypertension किडनी रोगों या किडनी को खून पहुंचाने वाली धमनी में रुकावट या किसी हर्मोनल समस्या अथवा किसी दवा जैसे स्टेरॉयड के कारण भी हो सकता है। ऐसे मामलों में मूल समस्या को नियंत्रित करना जरूरी होता है।
सीनियर कंसलटेंट डा. अनिल प्रसाद भट्ट कहते हैं कि Hypertension किडनी रोगों का दूसरा मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों एवं नमक के बढ़ते सेवन के कारण इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। नमक का ज्यादा सेवन करने का बुरा असर खून ले जाने वाली धमनियों पर पड़ता है, जिसके चलते धमनियों की दीवारें मोटी हो जाती हैं। इससे धमनियों के भीतर की जगह सिकुड़ जाती है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। धीरे-धीरे धमनी इतनी संकरी हो जाती है कि अंग तक खून की आपूर्ति रुकने लगती है, जिससे अंग को पर्याप्त पोषण और ऑक्सीजन नहीं मिल पाते हैं।
चिकित्सक सलाह देते हैं कि Hypertension से बचने के लिए नियमित रूप से ब्लड प्रेशर चैक कराते रहना चाहिए, खासतौर पर 4० की उम्र के बाद नियमित रूप से ब्लड प्रेशर चैक कराते रहना चाहिए। जहां तक खानपान की बात है-कम सोडियम से युक्त आहार लें, धूम्रपान एवं शराब के सेवन से बचें। अगर, बीपी नियंत्रित भी हो गया है तो फिर भी उचित सावधानी बरतने की जरूरत होती है। साथ ही, नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की दवा लेनी चाहिए और समय-समय पर चिकित्सक की सलाह से इसकी खुराक में बदलावा लाना चाहिए। नियमित व्यायाम, योग, एरोबिक्स, तैराकी आदि से भी शरीर सेहतमंद बना रहता है। DASH (Dietary Approaches to Stop Hypertension) आहार लेने की कोशिश करें, जिससे न केवल ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहेगा, बल्कि उचित पोषक पदार्थ भी मिलते रहेंगे। जीवन में तनाव कम करने की कोशिश की जानी चाहिए, इसके लिए जरूरी है, मनन करें और ध्यान रख्ों कि डायबिटीज भी नियंत्रण में रहे।
एक अनुमान के अनुसार भारत में तकरीबन 1०.8 फीसदी मौतें तथा 4.6 फीसदी आजीवन अपंगताएं Hypertension के कारण ही होती हैं। शहरी के साथ ग्रामीण क्ष्ोत्रों में रहने वाले लोग भी सामान्य रूप से Hypertension के शिकार हो रहे हैं। आकड़े हैरान करते हैं कि भारत में स्ट्रोक के 29 फीसदी, हार्ट अटैक के 24 फीसदी और किडनी फैल्योर के 13 फीसदी मामलों की वजह Hypertension है। दुनिया भर में हर साल तकरीबन 94 लाख लोग Hypertension या इससे जुड़ी बीमारियों की वजह मर जाते हैं। मरने वालों में अधिकांशत: ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें पता ही नहीं होता है कि वह Hypertension के शिकार थ्ो। ऐसे में, जरूरी है कि नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर चैक कराते रहें। अगर, इस पर नियंत्रण न किया जाए तो इसका बुरा असर हृदय, गुर्दों परिधीय धमनियों और आंखों पर भी पड़ने लगता है। ऐसा नहीं है कि शहरी आबादी ही Hypertension की शिकार है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी इस बीमारी से पीड़ित होते जा रहे हैं। पुरुषों के अलावा महिलाएं और कम आयुवर्ग के लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।
जेपी हॉस्पिटल के कॉर्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. गुंजन कपूर कहते हैं Hypertension एक ऐसी बीमारी है, जिसमें धमनियों में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिसका असर धमनियों की दीवारों पर पड़ता है। वह बताते हैं कि ज्यादातर मामलों Hypertension का मुख्य कारण जीवनश्ौली से जुड़ा होता है और इसके लिए जीवनश्ौली में बड़े बदलाव लाने की जरूरत होती है। हाई ब्लड प्रेशर, जो किसी अन्य कारण से न हो, उसे प्राइमरी या असेनियल Hypertension कहा जाता है। अगर, यह किसी अन्य बीमारी के कारण हो तो इसे सैकंडरी Hypertension कहा जाता है। हालांकि, कुछ मरीजों में सैकंडरी Hypertension किडनी रोगों या किडनी को खून पहुंचाने वाली धमनी में रुकावट या किसी हर्मोनल समस्या अथवा किसी दवा जैसे स्टेरॉयड के कारण भी हो सकता है। ऐसे मामलों में मूल समस्या को नियंत्रित करना जरूरी होता है।
सीनियर कंसलटेंट डा. अनिल प्रसाद भट्ट कहते हैं कि Hypertension किडनी रोगों का दूसरा मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों एवं नमक के बढ़ते सेवन के कारण इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। नमक का ज्यादा सेवन करने का बुरा असर खून ले जाने वाली धमनियों पर पड़ता है, जिसके चलते धमनियों की दीवारें मोटी हो जाती हैं। इससे धमनियों के भीतर की जगह सिकुड़ जाती है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। धीरे-धीरे धमनी इतनी संकरी हो जाती है कि अंग तक खून की आपूर्ति रुकने लगती है, जिससे अंग को पर्याप्त पोषण और ऑक्सीजन नहीं मिल पाते हैं।
चिकित्सक सलाह देते हैं कि Hypertension से बचने के लिए नियमित रूप से ब्लड प्रेशर चैक कराते रहना चाहिए, खासतौर पर 4० की उम्र के बाद नियमित रूप से ब्लड प्रेशर चैक कराते रहना चाहिए। जहां तक खानपान की बात है-कम सोडियम से युक्त आहार लें, धूम्रपान एवं शराब के सेवन से बचें। अगर, बीपी नियंत्रित भी हो गया है तो फिर भी उचित सावधानी बरतने की जरूरत होती है। साथ ही, नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की दवा लेनी चाहिए और समय-समय पर चिकित्सक की सलाह से इसकी खुराक में बदलावा लाना चाहिए। नियमित व्यायाम, योग, एरोबिक्स, तैराकी आदि से भी शरीर सेहतमंद बना रहता है। DASH (Dietary Approaches to Stop Hypertension) आहार लेने की कोशिश करें, जिससे न केवल ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहेगा, बल्कि उचित पोषक पदार्थ भी मिलते रहेंगे। जीवन में तनाव कम करने की कोशिश की जानी चाहिए, इसके लिए जरूरी है, मनन करें और ध्यान रख्ों कि डायबिटीज भी नियंत्रण में रहे।